STORYMIRROR

Archana Singh

Inspirational

4  

Archana Singh

Inspirational

जीना चाहती हूं

जीना चाहती हूं

1 min
383


मैं जीना चाहती हूं 

अब स्वयं के लिए 

हर उस एहसास को

महसूस करना चाहती हूं 

जो मुझे कभी नहीं मिला 

अब अपने मन का करना चाहती हूं

 मैं जीना चाहती हूं 

अब स्वयं के लिएll

 पंछी बनकर मस्त गगन में चहकना चाहती हूं

 दुनिया के चमन में खुली फिजाओं मे

विचरना चाहती हूं 

आकाश की अनंतम सीमाओं में

अब मैं उड़ना चाहती हूं 

अपने मन का करना चाहती हूं

 मैं जीना चाहती हूं 

अब स्वयं के लिए ll

तोड़ सारे बंधनों को 

मुक्त खिलखिलाना चाहती हूं

 सारे गमों को समेट कर

 दरिया सा बहना चाहती हूं 

जीवन के हसीन सुनहरे 

पलों को समुद्र की भांति 

समेटना चाहती हूं 

अपने मन का करना चाहती हूं 

मैं जीना चाहती हूं

 अब स्वयं के लिएllll


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational