जीना चाहती हूं
जीना चाहती हूं
मैं जीना चाहती हूं
अब स्वयं के लिए
हर उस एहसास को
महसूस करना चाहती हूं
जो मुझे कभी नहीं मिला
अब अपने मन का करना चाहती हूं
मैं जीना चाहती हूं
अब स्वयं के लिएll
पंछी बनकर मस्त गगन में चहकना चाहती हूं
दुनिया के चमन में खुली फिजाओं मे
विचरना चाहती हूं
आकाश की अनंतम सीमाओं में
अब मैं उड़ना चाहती हूं
अपने मन का करना चाहती हूं
मैं जीना चाहती हूं
अब स्वयं के लिए ll
तोड़ सारे बंधनों को
मुक्त खिलखिलाना चाहती हूं
सारे गमों को समेट कर
दरिया सा बहना चाहती हूं
जीवन के हसीन सुनहरे
पलों को समुद्र की भांति
समेटना चाहती हूं
अपने मन का करना चाहती हूं
मैं जीना चाहती हूं
अब स्वयं के लिएllll