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आजादी

आजादी

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चीर गुलामी के तम को

घिर आई रौशनी आज़ादी

बरसों से घुट रहा था जीवन

अब मिली सांसों को आज़ादी।


अपना संविधान,कानून नया

है लोकतंत्र की आहट नई

नए डगर पर चल पड़ी

धरा अपनी दुल्हन सी सजी।


वीर शहीदों की कुर्बानी

आखिर देखो रंग लाई

आया अगस्त पन्द्रह का दिन तो

खुशियाँ घर-घर हैं छाई।


तीन रंग से बना तिरंगा

लाल किले से फहराया

आजादी अमर रहे

संदेश ये घर-घर पहुँचाया।


अपनी आज़ादी को यूँ ही

भेद-भाव मे न रौंदों

मिलकर जैसे साथ लड़े

अब विकास की मिलकर सोचो।


जात-पांत की तोड़ दीवारें

सबको एक बनाना है

वसुधैवकुटुम्ब का भाव

जन-जन तक पहुंचना है।


पहुँचे चाँद या आसमान में

भूल नहीं ये जाना है

मानव हैं हम सबसे पहले

मानवता हमें निभाना है।


आतंकवाद को करके काबू

भ्रष्टाचार मिटाना है

इंसानियत के दुश्मनों को

सबक खूब सिखलाना है।


आज़ादी का पुण्य दिवस

मिलकर हमे मनाना है

आजादी अक्षुण्ण रहे ये

कसम हमें ही उठाना है।


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