STORYMIRROR

Neha Dubey

Action

3  

Neha Dubey

Action

सरहदें

सरहदें

1 min
205

कश्मीर रो रहा है, पढ़ा मैंने 

उस फ़ौजी को भी जो हथेली में 

जान लिए खड़ा है और सोचा

कश्मीर में आख़िर सालों से 

यह क्या हो रहा है ?


दोष इस बार भी

सरहदों के हिस्से ही आया।

सरहदें जिन्हें इंसानो ने ही बनाया,

पहरा फिर दोनों ओर बिठाया,


देश के बीच की सरहदें तो वर्षों से

वैसी ही खड़ी हैं, पर

दिलो की सरहदें प्रतिदिन बढ़ी हैं।


हजारों वॉट के दौड़ते करेंट 

और वीर शहीदों के बीच

कैसी कशमकश में रहती होंगी ना

ये सरहदें ?


जब भी वहाँ हलचल होती होगी तो

इंसानियत को जार जार होता देख

मूक ही रोती होंगी ना ये सरहदें।


कुछ दिया नहीं हैं खूनखराबे, लाशों,

और नफरतों के सिवा, 

पर जाने क्यों हिफ़ाजत को

लाखों हँस कर बली चढ़ गए ?

लाखों माँ के वीर लालों के 

सर देश के हित में कट गए।


काश ! ये सरहदें भी कालचक्र में होती

जन्म लेती, ज़बान भी होती और 

फिर बूढ़ी हो कर मर जाती, पर 

बदनसीबी इन की ये एक कल्पना मेरी,

हजारों युद्ध झेल कर भी जिंदा खड़ी हैं।


सरहदों का दर्द बहुत बड़ा है, फिर भी

इंसान जाने क्यों मौन ही खड़ा है।

बहुत बारूद है ना ?


और मारने का शौक़ भी,

तो क्यों ना, 

चला दो सारी गोलियाँ, 

उड़ा दो बारूद से,

मिटा दो सरहदों को,


सरहदें जो इंसानियत की हैं,

सरहदें जो धर्मो की हैं,

सरहदें जो दिलों की हैं,

सरहदें जो नामों की हैं,

सरहदें जो देशों की हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action