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V. Aaradhyaa

Action Inspirational

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V. Aaradhyaa

Action Inspirational

साहित्यकार ऐसे नहीं जनमता है

साहित्यकार ऐसे नहीं जनमता है

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जैसे कि बिना दूध को मथे हुए ,

कभी माखन तैयार नहीं होता ।

वैसे ही सद्जन का खुद का कोई,

निज स्वार्थ व्यवहार नहीं होता ।।


टीस ना होता जिगर में कोई ,

डंक मारती हुई सुई अंतस्तल में !

तो शायद इस दुनिया में कोई भी ,

इंसान साहित्यकार नहीं होता ।।


ढले आचरण में जब भावुक सा,

ये उर का दीपक जल जाएगा ।

अंधकार मय कीन्हि गलियारों में,

भूला पथिक भी सँभल जाएगा ।।


गूँज उठेंगे ज़ब कोयल के स्वर,

सूने मन के इस कानन उपवन में ,

भाव हृदय के बदल गये तो फिर ,

जीवन भी स्वयम् बदल जाएगा ।।



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