वन्य संपदा को बचा लो
वन्य संपदा को बचा लो
घूमते जहां वन्य पशु पक्षी आजादी से।
सुंदर प्राकृतिक वन्य संपदा चारों तरफ बिखरी होती।
अंदर घूमते निडर पशु पक्षी
छोटे बड़े जीव को देख प्रकृति भी हंस रही होती।
यह सोच रही होती की इंसानों की नजर ना पड़े इन पर, नहीं तो इनको भी नष्ट कर जाएंगे।
अपने स्वार्थ के खातिर इनको भी काट-काट अपनी झोली भर जाएंगे।
इतनी सुंदर बन संपदा पर अपना काला साया मंडराएंगे।
कर शिकार वन्य जीवों का अपनी तिजोरी भर जाएंगे।
चिनार चंदन साग देवदार ओक सेलम तरह-तरह के पेड़ होते जो प्राकृतिक खनिज संपदा से भरपूर होते।
काट इनको मूल्यवान लकड़ी को बेच बेच अपनी तिजोरियाँ में भरते।
पशु पक्षी हिरण शेर हाथी भालू और कई जानवरों का शिकार कर उनके चमड़े का और दांतों का व्यापार यह करते।
अरे अब तो बस कर इंसान
ईश्वर की इस उपहार स्वरूप दी गई संपत्ति पर कहर ना ढा नहीं तो ईश्वर का प्रकोप अभी तक भी पड़ रहा है भारी।
आगे और पड़ेगा भारी।
अब तो समझ जा प्राकृतिक संपदा को तो बचा ले और इंसानी जगत पर रहम खा।
वन में रहने वाले अबोध पशु पक्षियों पर तू रहम खा।
नहीं तो वन खत्म होने से यह हिंसक पशु कहीं शहरों में ही ना घुस जाए।
और सब पर कहर ना बरसाए।