जज़्बात एक्सप्रेस कथा जज़्बात एक्सप्रेस कथा
वो सर से पाँव तक पूरी इशारा। वो सर से पाँव तक पूरी इशारा।
इतने लालों की माई मैं, क्यों इतनी असहाय पड़ी। इतने लालों की माई मैं, क्यों इतनी असहाय पड़ी।
इस कथा में आत्मा बसी जहान की क्यों राम जी से दूर जा रही है जानकी। इस कथा में आत्मा बसी जहान की क्यों राम जी से दूर जा रही है जानकी।
कभी चुप रहकर भी कह देते हैं कुछ अनकहा, कभी बातों को बातों से उलझते हैं। कभी चुप रहकर भी कह देते हैं कुछ अनकहा, कभी बातों को बातों से उलझते हैं।
नापाक जो इरादे, कर खोखला रहे हैं छुटपुट प्रहार करके, जो बौखला रहे हैं नापाक जो इरादे, कर खोखला रहे हैं छुटपुट प्रहार करके, जो बौखला रहे हैं