वो सर से पाँव तक पूरी इशारा। वो सर से पाँव तक पूरी इशारा।
छू लू जरा आज ऐसे अभी छू लू जरा आज ऐसे अभी
शराबी हूँ माना... मगर तेरा साक़ी, ग़मों का ये दरिया पिलाना गलत था। शराबी हूँ माना... मगर तेरा साक़ी, ग़मों का ये दरिया पिलाना गलत था।
अब ना रहा मैं जुआरी व शराबी, मुझे तो पसंद है तेरा चेहरा तेज़ाबी। अब ना रहा मैं जुआरी व शराबी, मुझे तो पसंद है तेरा चेहरा तेज़ाबी।
फिर तुम ही क्यों इस ज़हर को गले के नीचे उतारा करते हो तूने क्या सोचा है कभी ऐ शराबी। फिर तुम ही क्यों इस ज़हर को गले के नीचे उतारा करते हो तूने क्या सोचा है क...
केवल अपने पैरों पर खड़ी होकर, संँवार देती है अपने बच्चों की दुनिया। केवल अपने पैरों पर खड़ी होकर, संँवार देती है अपने बच्चों की दुनिया।