रेवोलुशनरी
रेवोलुशनरी
वो जो बरसों से हर जख्म को
अपने पीठ पर सहते हुए भी,
एक दिन चीख उठती है सहसा ही
फिर तोड़ देती दकियानुसी रूढ़ियों को,
और देती है करारा जवाब अपने हाथों से
उसके गालों पर
जिसको नज़र उठाकर देखने की
हिम्मत ना की थी आज तक।
जो नौ महीने तक अपने गर्भ
में पलती बच्ची को,
जन्म के बाद भी
नहीं फेकने देती है कूड़े पर,
कर देती है बगावत अपने ही परिवार से
अपने कलेजे के दुकड़े की खातिर।
जो खुद को खत्म करने की बजाय,
करती है जीवन की इक नई शुरुआत
एसिड से जले हुए अपने चेहरे के साथ।
जो किसी शराबी के साथ
नहीं डूबने देती अपनी ज़िन्दगी की नैया,
केवल अपने पैरों पर खड़ी होकर,
संँवार देती है अपने बच्चों की दुनिया।
वो सभी जो किसी से डरती नहीं,
सबकी सुनती नहीं,
बने बनाये रास्तों पर चलती नहीं
और जो समाज में जल्दी हज़म होती नहीं,
इन औरतों का होता कोई नाम नहीं
लोग इन्हे कहते हैं बगावती,
लेकिन ये तो होती है रेवोलुशनरी।