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Shubhra Ojha

Abstract

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Shubhra Ojha

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कुछ किताबें

कुछ किताबें

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ई-बुक,

ई-मैगज़ीन,

और

ई-न्यूजपेपर,

इतना सब कुछ ऑनलाइन पढ़ने के बाद भी,

जो सुकून अपनी पसंदीदा किताबें

अपने हाथों में लेकर पढ़ने में है

वो कही नहीं,

कहीं ना कहीं किताबें 

हिस्सा हो जाती है खुद की

जब हम उन्हें पढ़ने लगते हैं,

हरदम वो साथ रहती है..

कभी सिरहाने

तो कभी चाय की टेबल पर,

मज़ेदार किताबें तब तक हमारे साथ

होती है जब तक

वो पूरी ना हो जाएं,

यही उनका रिश्ता खत्म नहीं होता हमसे

बल्कि

कुछ अच्छी किताबें आजीवन 

हमारे साथ रहती है

एक अच्छे दोस्त की तरह....।





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