मेरी बिटिया
मेरी बिटिया
सोचो तो लगता हैं
जैसे यह कल की बात हो
जब अपनी नन्ही सी बिटिया को
अपने घर आंगन में लेकर आए थे,
उस दिन से हमारी दुनिया
हँसने खिलखिलाने लगी थी
जो पहले बिल्कुल वीरान सी
हुआ करती थी,
लोगों के सवालों से परेशान
हम दोनों पति -पत्नी ने
ठान लिया था कि अब
औलाद के लिए मिन्नत मांगना
और तरसना बन्द कर देंगे,
किसी मासूम से बच्चे के लिए
अपने घर को क्यों मरहूम रखना,
जबकि इस दुनिया में बहुत से ऐसे बच्चें हैं,
जिनके पास ना कोई माता - पिता और
ना ही कोई सिर पर छत हैं
तो हम लोगों इक ऐसी ही
प्यारी सी बिटिया को अपने घर लाएं
और आज उसी प्यारी सी
डॉक्टर बिटिया का जन्मदिन हैं,
देखते - देखते समय पंख लगा कर
उड़ जाता हैं और वो नन्हे से हाथ
जो कभी हमारी उंगलियां पकड़ कर चलते थे,
आज वही हाथ हमारे कंधों को सहारा देते हैं।
