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Dr Rajmati Pokharna surana

Abstract

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Dr Rajmati Pokharna surana

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मैं और मेरी तन्हाई

मैं और मेरी तन्हाई

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मैं और मेरी तन्हाई बस्तियों से दूर हो

मैं अकेला हो गया, तन्हाइयों से मेरा

ये कैसा नाता हो गया,

अकेलेपन के अहसास से दिल घबरा गया,

तन्हा हो अकेले मैंने जीना सीख गया।


सूनी है डगर सूना है दिल का कोना,

जीवन के मिथ्यापन से लिप्त मन का कोना,

अहसासों खयालातों से हुआ खोखला कोना,

तन्हाइयों से याराना यही चाहता दिल का कोना।


अनजान राह पर मैं हूँ मेरी तन्हाई है,

काफ़िला है अनुभूतियों का यही सच्चाई है,


न हार मानूँगा न मैं घबराऊँगा अनजान डगर पर,

जिंदगी को मैंने समझा जीवन की यही सच्चाई है।


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