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Rohit Prasad

Drama Fantasy

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Rohit Prasad

Drama Fantasy

तेज़ाबी चेहरा

तेज़ाबी चेहरा

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किसी दिन मैंने चाहा था तुम्हें,

तब ना ही होश था ना प्यार।


एक नजर की टकराहट में,

बस यह प्रेम हो गया साकार।


एक दिन आयी वह तेज़ाबी रात,

घटना घट गयी तेरे साथ।


कही थी ना छोड़ेगे तुम्हारा हाथ,

वहीं थी हमारी अंतिम मुलाकात।


मैं आज भी तुम्हें ही चाहता हूँ,

ख़्यालों में भी तुम्हें ही पाता हूँ।


कष्टों को आँसू में बहा कर,

हद से भी ज्यादा तुम्हें चाहकर।


मैंने तुम्हें अब तक खोया,

तेरे चले जाने पर मैं हर रोज रोया।


हर जगह है प्यार का तिलिस्म,

क्या प्यार होता हैं सिर्फ जिस्म।


क्यों छाई है तुम्हारे होठों पर ख़ामोशी,

तेज़ाबी प्रहार का कौन है दोषी ?


मैं ढूँढता तुम्हें हर देश हर प्रान्त,

क्यों तुम हो गई एकांत।


अब ना रहा मैं जुआरी व शराबी,

मुझे तो पसंद है तेरा चेहरा तेज़ाबी।


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