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मैं अब भी विद्यार्थी हूँ !

मैं अब भी विद्यार्थी हूँ !

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नन्हे कदमों से प्रवेश किया था,

चाॅक पकड़कर खींची लकीरें,

मासूमियत भरी थी नजरों में,

मृत्यु उपरांत में

पढ़ाई का में साथी हूँ,

मैं अब भी विद्यार्थी हूँ !


भय का परिवेश समझकर,

जाता था पढ़ने डर-डरकर,

माँ भी मुझे समझाती,

पिता जी के मार से बचाती।


स्कूल में सर जी की दहाड़,

घर में होमवर्क की फटकार,

हर एक पल रहता था परेशान,

जब तक होमवर्क न हो,

आती न थी जान में जान।


मस्ती भरी रहती थीं

हमरी पाठशाला,

शिक्षा बनी अब नाट्यकला।


आजकल तो हुआ बाजार,

पढ़ाई से ज्यादा किताबों का भार।

हर मस्ती भरी जीवन हैं सीख,

जीवन के हर सत्य को मन में लिख।


हर एक पल मैं

पढ़ाई का सारथी हूँ,

मैं अब भी विद्यार्थी हूँ !


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