वृद्धावस्था
वृद्धावस्था
मुझ बूढ़ी मां को छोड़ अकेली,
कितने खुश हैं मेरे लाल,
कि अब मैं जिंदा भी हूं,
उसकी खबर लेने से भी कतराते हैं,
अब तो मेरे लाल,
शायद मैं मर गई उनके लिए,
तभी तो कोई खबर पूछने,
नहीं आते,
वृद्धावस्था का क्या है,
आज मैं हूं,
कल वो होंगे,
बस ईश्वर से प्रार्थना है कि,
मेरे लाल ऐसे अपने बच्चों को,
देखने के लिए तरसे नहीं,
जैसे मैं तरसती हूं,
एक बेचारी बूढ़ी मां की आवाज़,
रोते रोते कहीं दब सी गई।