Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

"दाग सुर्ख स्याह"

"दाग सुर्ख स्याह"

1 min
332


मत कर, यहां तू किसी की परवाह

सबको लगे हुए है, दाग सुर्ख स्याह

चलता चल तू, राही बसअपनी, राह

तुझे मंजिल अवश्य ही मिलेगी वाह


बहरा होकर चला पतवार मल्लाह

दुनिया मे सब डुबोने की देते, सलाह

बिना स्वार्थ कोई न देगा, तुझे पनाह

सबके सब यहां पर स्वार्थी, बंदरगाह


जितना होगा सफल, लोग करेंगे, डाह

खुद को छोड़, न मान, तू कोई सलाह

मत कर यहां तू किसी की भी परवाह

सबके लगे हुए, यहां दाग सुर्ख स्याह


बाहर नहीं, भीतर शत्रु करते है, तबाह

बाहर नहीं, भीतर के दाग कर स्वाह

जो नित ही बुराइयों का करते है, दाह

वो एक दिन कंकर, शूलों में बनाते, राह


यह दुनिया है, बस एक ऐसा चरवाह

जो जैसा करता, वैसा पाता फल वाह

कर निःस्वार्थ कर्म, रब को मान गवाह

कर परवाह, जो मिटाते भीतर मल माह


दुनिया में सबको लगे दाग, सुर्ख स्याह

वही लोग बनते, इस दुनिया मे बादशाह

जो भीतर कमियों का करते, आत्मदाह

वो लोग बनते एकदिन बेदाग चन्द्र, यहां


जो सबकी समझते, पर दुःख, दर्द, आह

वो खोजे, दरिया में अनमोल मोती, वाह

दीपक आगे कब टिकती, तम की निगाह

निर्मल कर्म से मिटते है, दाग सुर्ख स्याह।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy