प्रेमिका भी कब राधा सा प्रेम करती है ?
प्रेमिका भी कब राधा सा प्रेम करती है ?
ख्वाब तो मैंने चांदनी के देखे,
अँधेरा नसीब हुआ उसमे मेरा क्या कसूर,
अगर मिल जाती चांदनी,
बेमतलब बढ़ जाता मेरा गुरूर!!
प्यार मोहब्बत का पैगाम,
यूँ खींचता मुझे ले आया!
मोहब्बत का रास्ता,
मंजिल से दूर ले आया!!
मोहब्बत का बाजार बना है,
हर कोई इश्क़ का दुकानदार बना है!!
सच्ची मोहब्बत खत्म हो गयी,
अब हर कोई अय्याशी का सरदार बना है!!
नक़ल करने निकले है सब,
शरीर सबको भा रहा है,
कँहा है कान्हा सा प्रेम,
कौन सच्चे हृदय से चाह रहा है!!
हंसी ख़ुशी अब ख़त्म हुई है,
कँहा अब विश्वास बचा है!!
प्यार की झूठी नौटंकी में,
कँहा सच्चे प्रेम का अहसास बचा है?
बाबू मेरे शोना प्यारे,
खाना तूने खाया क्या?
अकेले अकेले सब खा गए,
मेरे लिए बचाया क्या?
प्यार की सीमा बन गयी,
"पासवर्ड" वाली मोहब्बत चलती है!!
प्रेमिका भी कब राधा सा प्रेम करती है?
निर्मलता अब गायब हो गयी,
आत्ममिलन खो सा गया है!
"हेमंत" को तन्हाई में,
सत्य का अहसास हो सा गया है !