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Kawaljeet Gill

Abstract Classics Inspirational

4.5  

Kawaljeet Gill

Abstract Classics Inspirational

मैं और मेरी तन्हाइयाँ

मैं और मेरी तन्हाइयाँ

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370


मैं और मेरी तनहाइयाँ हर पल रहती संग संग एक दूजे से जुदा नहीं

एक दूजे की हमदर्द हम एक दूजे की सखियाँ मैं और मेरी तनहाइयाँ


हाल एक दूजे का एक दूजे से पूछती हर पल मैं और मेरी तनहाइयाँ

अक्सर हम करती है बाते एक दूजे से मैं और मेरी तनहाइयाँ


मेरे आँसू हर पल मोतियो की तरह संभालती मेरी ये तनहाइयाँ

एक पल भी मुझे उदास ना होने देती ये मेरी तनहाइयाँ


साये की तरह रहती हर पल संग मेरे ये मेरी तनहाइयाँ

सन्नाटे में भी ये मुझे कभी ना डरने देती ये मेरी तनहाइयाँ


खामोशी में भी हर पल आवाज़ लगाती है ये मेरी तनहाइयाँ

दूर एक पल जब भी हो जाऊं मैं तो हिचकियो सी लगती ये तनहाइयाँ


महफ़िलो में भी मुझसे मिलने साथ निभाने आ जाती मेरी तनहाइयाँ

प्यार है इनको मुझसे इतना कि पल भर को भी मुझसे दूर नही रहती ये मेरी तनहाइयाँ


जाने कैसा रिश्ता इनसे मेरा जाने क्यों लगे मुझे बहन सी ये मेरी तनहाइयाँ

कभी कभी तो लगता है ऐसे जैसे इनसे कोई जन्मो पुराना नाता मेरा


कलयुग से नही सतयुग से है साथ मेरा तेरा रिश्ता पुराना ये कहती मेरी तनहाइयाँ

सोच में पड़ जाते हैं अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनकर क्या सत्य कहती मेरी तनहाइयाँ।


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