STORYMIRROR

Bindesh kumar jha

Romance

4  

Bindesh kumar jha

Romance

प्रेम प्रस्ताव,

प्रेम प्रस्ताव,

1 min
12

ले आए तुम प्रेम प्रस्ताव,

क्या इसमें है बाँधने का स्वभाव?

क्या आज़ादी की चिंगारी है?

या तुम्हारी भीतर रहने की लाचारी?

यह बात यहीं साफ कर दो,

या फिर मुझे माफ कर दो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance