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संजय असवाल "नूतन"

Romance

4.7  

संजय असवाल "नूतन"

Romance

*पहली बारिश..

*पहली बारिश..

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सावन की पहली बारिश में 

तन मन भीगने लगता है 

मोर नाचता बागों में

इंद्रधनुष सा दिखने लगता है ।


ठंडी ठंडी चलती फ़ुरवाई 

संगीत सा बजने लगता है 

प्रेयसी की याद में ये दिल

कुछ बैचेन सा होने लगता है ।।


जीवंत हो जाती हैं फिज़ाएं 

मदहोश शमा होने लगता है 

बारिश की नन्हीं बूंदों में 

ये दिल घड़कने लगता है।


जज्बात उफ़ानों में होते हैं 

उफ़्फ ये क्या होने लगता है 

उनकी खामोश निगाहों से 

मन इश्क नशे डूबने लगता है।।


हसीं शम

ा ये रंगीन हो गया 

मन रोमांचित होने लगता है 

सिमट रही तुम मेरी बाहों में 

चाहत का पल थमने लगता है।


अधरों पर मुस्कान है तेरी 

नजरों का असर होने लगता है 

अंदर बाहर उमड़े तूफानों में

सब कुछ बहने लगता है।।


लम्हें जो भीगे इन जज्बातों में 

इश्क गुलाबी होने लगता है 

पिया मिलन की चाह में गोरी

गाल गुलाबी सुर्ख होने लगता है।


कुछ नशा सा होने लगता है

सीधा दिल पर असर होने लगता है 

ये क्या सुनाया आसमां को मैंने 

खुशी से वो भी बरसने लगता है।।


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