मन का मिलन
मन का मिलन
मिलते -मिलते हम तुम यारा ,
साथ -साथ का न्यारा नजारा l
एक- एक बाते संभल संभल कर ,
छिप- छिप हंसना कितना प्यारा l
झूठा-झूठा गुस्सा करना ,
जिद कर-कर के अपना लड़ना l
कितनी यादें धुंधली बिखरी
हम दोनों के अवचेतन में ,
आओ कर ले साफ उन्हें
या फिर मिल जाए किसी सपन में
रुक- रुक करके सांसे गिनना ,
प्यारा था वो दिल का मिलना l
बैठ रात में तारे गिनना ,
या चंदा में तुमको तकना l
यादों - यादों में खो जाना ,
सीने लग वो धड़कन सुनना l
बिखरे बिखरे इन तिनको को
मिल के हम तुम फिर से बुन ले l
आओ कर ले साफ़ .....
कहत
े कहते मौन सघन में ,
या तेरी गहरी सिसकन में l
उल्टी सीधी सी बातों में ,
फिर तेरी तिरछी चितवन में l
गलियाँ कॉलेज देवालय में ,
या फूलों के उस उपवन में l
बंद किताबों के पन्ने को ,
हम तुम यारा फिर से पढ़ ले l
आओ कर ले साफ .......
धीरे -धीरे वक्त ये गुजरे ,
गुजरा था जो कभी पलो में l
मीठे- मीठे ख्वाब कहाँ है ,
सींचा था जो कभी नयन ने l
बिखरे -बिखरे केश सम्हाले ,
तस्वीरों के बस देखने में l
प्रश्न अधूरे कई पड़े है ,
हम तुम मिल के क्या हल कर ले ,,
आओ कर ले साफ ......
तेजप्रकाश पांडे द्वार लिखित उपरोक्त गीत कॉपीराइट अनुबंधों के अंतर्गत है