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Dinesh Dubey

Abstract Inspirational

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Dinesh Dubey

Abstract Inspirational

ऐ मुसीबतें

ऐ मुसीबतें

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ऐ मुसीबतें रुक जा जरा,

आ बैठ कर कुछ खा पी लेते हैं,

तू भी थक गई होगी,

मुझे दिन रात सताते सताते।

पर मैं नहीं थका अब भी ,

बहुत कुछ करने की तमन्ना ,

है मेरे भी मन में ,

उसके सामने तू कुछ भी नहीं।

मुझे तुझ पर तरस आ रहा है,

तू बेवजह परेशान हो रहा है,

जा किसी कमजोर दिल के पास,

तूने मेरा दिल लोहे के बना दिया है।



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