ऐ मुसीबतें
ऐ मुसीबतें
ऐ मुसीबतें रुक जा जरा,
आ बैठ कर कुछ खा पी लेते हैं,
तू भी थक गई होगी,
मुझे दिन रात सताते सताते।
पर मैं नहीं थका अब भी ,
बहुत कुछ करने की तमन्ना ,
है मेरे भी मन में ,
उसके सामने तू कुछ भी नहीं।
मुझे तुझ पर तरस आ रहा है,
तू बेवजह परेशान हो रहा है,
जा किसी कमजोर दिल के पास,
तूने मेरा दिल लोहे के बना दिया है।
