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Rajiv Jiya Kumar

Romance

4  

Rajiv Jiya Kumar

Romance

रिश्ता तुमसे है

रिश्ता तुमसे है

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247


सामने तुम हो संवरे संवरे

खामोश लब कुछ ठहरे ठहरे

सजीली आँखें क्या क्या बोल रहीं

रिश्ता अनकहे सब जोङ रही

सच यह जां,जां को बहलाता है,

रिश्ता तुमसे तो है न कोई

बतला दो यह क्या कहलाता है।।

हम तुम्हें देख बहके बहके

धङकनें खनकेे झन झन के

हर अदा निराली मतवाली

करती पल पल उतावली

सच रूप यह स्वप्न सजाता है,

रिश्ता तुमसे तो है न कोई

बतला दो यह क्या कहलाता है।।

तुम मूरत से बसे मन मन में

साँस सरगम तेरे गाए खिल खिल के

हर तान सजन तेरी सरगोशी सी

हर बार तुम्हीं मद,तुुुम मदहोशी

सच मदमाता रूप तेरा मग्न लुभाता है,

रिश्ता तुमसे तो है न कोई

बतला दो यह क्या कहलाता है।।

               


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