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Laxmi Tyagi

Tragedy Inspirational

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Laxmi Tyagi

Tragedy Inspirational

समय के साथ चल

समय के साथ चल

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मानव ! तू समय के संग -संग चल !


''समय चक्र'' चलता........ निरंतर। 


मानव ! कभी ठहर ! चला सोचता। 


कहां जाना, क्यों है ,मुझको जाना ?


कभी ठहरता, दौड़ता थक जाता। 


समय संग,मंजिल तय न कर पाता। 


कशमकश में समय से पीछे रह जाता। 


सोचता,क्यों ? 'समय नहीं ठहर जाता। 




क्यों, जीवन की बातों में उलझ जाता ?


भावी पीढ़ी संग न.....आगे बढ़ पाता। 


क्यों, बीती परछाइयों में सिमट जाता ?


 क्यूँ 'वक़्त'वक़्त से पहले निकल जाता ? 




'जीवनभर'' साथ चल थक जाता। 


'' समय'' तेजी से आगे बढ़ जाता। 


तीव्र दौड़ने की चाह में,अपनों से बिछड़ जाता।


 समय चक्र न थकता,आगे बढ़ता जाता। 


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