समय के साथ चल
समय के साथ चल
मानव ! तू समय के संग -संग चल !
''समय चक्र'' चलता........ निरंतर।
मानव ! कभी ठहर ! चला सोचता।
कहां जाना, क्यों है ,मुझको जाना ?
कभी ठहरता, दौड़ता थक जाता।
समय संग,मंजिल तय न कर पाता।
कशमकश में समय से पीछे रह जाता।
सोचता,क्यों ? 'समय नहीं ठहर जाता।
क्यों, जीवन की बातों में उलझ जाता ?
भावी पीढ़ी संग न.....आगे बढ़ पाता।
क्यों, बीती परछाइयों में सिमट जाता ?
क्यूँ 'वक़्त'वक़्त से पहले निकल जाता ?
'जीवनभर'' साथ चल थक जाता।
'' समय'' तेजी से आगे बढ़ जाता।
तीव्र दौड़ने की चाह में,अपनों से बिछड़ जाता।
समय चक्र न थकता,आगे बढ़ता जाता।
