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डॉ. प्रदीप कुमार

Tragedy

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डॉ. प्रदीप कुमार

Tragedy

मैंने कब कहा?

मैंने कब कहा?

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मैंने कब कहा कि

मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए?

तुम आकर मुझसे मिल लो,

मुझे करार चाहिए?

मुझे तुम्हारी चाहत का,

ऐसा भी कुछ मोह नहीं,

कि सब रिश्ते छूट जाएं,

पर तुम्हारा साथ चाहिए।

तुम तब अच्छे लगते थे,

क्योंकि तुम तब सच्चे थे,

तुम तब अपने लगते थे,

क्योंकि तब मुझको अपना समझते थे,

जब झूठ का दामन थामा तुमने,

तब से पराया माना तुमने,

अब तुम्हारे सारे दुश्मन अच्छे,

अब मुझे दुश्मन समझने लगे।

तुम्हें तुम्हारी खुशी मुबारक,

अब हम भी अपनी राह चले।



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