बेहिसाब बेइंतहा
बेहिसाब बेइंतहा
आपको देख के
हमराज़ ऐसा लगा
न भरेंगे दिल के
चुभीले ज़ख्म कभी
क्यों हो गई है
हम से ये ख़ता
आपसे जो बेइंतहा
मोहब्बत कर ली.
दुश्मन भी न दे
ऐसी ज़ालिम सजा
आपने दिया है
ये संगदिल सिला
आपको क्या कद्र
बेहिसाब प्यार की
हम जो तड़पते रहे
यूं ही चाहत में.

