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Kishan Pratap Singh

Tragedy

4  

Kishan Pratap Singh

Tragedy

माँ दर्द हो रहा है

माँ दर्द हो रहा है

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जब काली आधी रात को,

तारों से सजी मेरी बेटी आई,

"कहां थी तू" मै डांटती, झकझोरती,

पर , "माँ दर्द हो रहा है" वो फूट पडी,

उसकी आंखे मुर्ति सी रूखी,

बाल बिखरे, होट कटे हुए 

कपडे फटे, हवा मैं डोलते हुए,

आकर मुझे गले से लगाया,

तन को समेटा, हाथो का जोर लगाया 

"माँ दर्द हो रहा है"

उसकी आवाज़ टूटी सी,

दुनिया से वह रूठी सी,

मैंने अपना अंचल बढ़ाया,

उसके नोचे गये हाथों को छुपाया 

क्यूँ भेजा मैंने वहां,

जानवर आते है जहां,

जो दर्द मैंने सहा था,

आज वो फिर से मेहसूस हो रहा था,

मेरे घाव आज फिरसे खुले,

चिल्ला कर फिरसे कह रहे थे,

"माँ दर्द हो रहा है।" 


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