बड़े लोग
बड़े लोग
सभी समाज, सभी संस्कृति में
पाए जाते हैं दो तरह के लोग,
कच्चे, टूटे-फूटे घरों में छोटे लोग,
ऊंचे, शानदार भवनों में बड़े लोग।
हमारे रिश्तों में भी कुछ लोग होते हैं,
जो हमसे धन-दौलत में बड़े होते हैं,
वो जब आपके यहां कभी आ जाते हैं,
आप उनके स्वागत में पलकें बिछाते हैं,
अपनी हैसियत से ज्यादा आप खर्च करते हैं,
उनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं करते हैं।
पर, जब कभी आपका उनके यहां जाना होता है,
वहां हर सदस्य आपसे बेगाना होता है,
नमस्ते करते तक ही उनका सत्कार सीमित है,
उसके बाद सब अपने कमरों के भीतर जीवित हैं।
नाश्ते में आपको सबसे निम्न स्तर का नाश्ता देते हैं,
जितनी देर आप वहां रहते हैं, सब रो रहे होते हैं,
आपको छोड़ने कोई घर के गेट तक नहीं आता,
दोबारा आप न आएं कभी, मन में यही मनाते हैं।
ऐसे होते हैं बड़े लोग जो पैसों से बड़े बन जाते हैं,
इंसानियत, प्रेम-भाईचारा जो कभी न सीख पाते हैं।
