नज़रिया
नज़रिया
नज़रिया है मेरा प्यार भरा तेरे लिये,
तू कभी वो समझ पाती ही नहीं,
तू कब तब वहम से देखेगी मुझको,
नज़रिया तेरा कभी बदलता नहीं।
नजरों के ज़ाम छलकता है तेरे लिये,
तू कभी भी तरबतर बनती ही नही,
बहुत तड़पाया करती है तू मझको,
तू नज़रिया तेरा कभी बदलता नहीं।
प्यार का समंदर बहाता हूं तेरे लिये,
तू प्यार की नदियाँ बनती ही नहीं,
समझाता हूं मैं रोज प्यार से तुझको,
तू नज़रिया तेरा कभी बदलता नहीं।
प्यार का महल सजाया है तेरे लिये,
तू कभी भी बसेरा करती ही नही,
मेरे दिल में अब दरार न कर "मुरली",
तू नज़रिया तेरा कभी बदलता नहीं।

