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Shiv Kumar

Romance

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Shiv Kumar

Romance

प्रेम की किरण

प्रेम की किरण

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चल पड़ा हूँ एक अजनबी राह पर,

जहाँ हर मोड़ पर हैं सौ कहानियाँ।

कहीं फूल बिछे, कहीं काँटे चुभे,

कहीं यादें हैं, तो कहीं वीरानियाँ।


पहली नजर की वो हल्की सी बिजली,

दिल में उतरी जैसे सावन की बदली।

बातें कम, मगर एहसास गहरे थे,

साँसों में बसी थी जज़्बातों की नमी।


तेरी हँसी थी किसी गीत की धुन,

तेरी आँखों में जादू सा कुछ था।

एक पल को लगा— यही मंज़िल है,

मगर सफर का इम्तिहान अभी बाकी था।


इम्तिहान – काँटों की राह


खुशियों की चादर ज्यादा दिन टिकती नहीं,

हर प्रेम कहानी में इक तूफान आता है।

जहाँ ख्वाबों के महल खड़े किए थे,

उन्हीं दीवारों में दरारें नज़र आती हैं।


कभी शब्दों ने रिश्तों पर वार किया,

कभी ख़ामोशियों ने दर्द सहा।

कभी तुम दूर हुए, कभी मैं चला,

मगर हर दूरी में भी तेरा साया रहा।


मोहब्बत की राहें आसान नहीं,

ये फूलों की चादर नहीं होती।

यहाँ आँसू भी हैं, तड़प भी है,

यहाँ हर प्रेम कहानी अधूरी नहीं होती।


भटकाव – अंधकार का दौर


एक दौर आया जब राहें उलझीं,

जब साथ होकर भी तन्हाई थी।

शब्दों की जगह ख़ामोशियाँ थीं,

मगर आँखों में अब भी सच्चाई थी।


क्या प्रेम यही है? सवाल उठे,

जब दिल चुपचाप घुटने लगा।

जब दूर होकर भी पास थे हम,

मगर मन में कुछ बिछड़ने लगा।


मैंने खुद से पूछा— तू अब भी चाहेगा?

दिल ने हौले से कहा— हर जन्म तक।

क्योंकि प्रेम कोई सौदा नहीं,

ये तो आत्मा की पुकार है।


प्रकाश – प्रेम की पुनर्खोज


फिर एक दिन तेरा नाम सुनाई दिया,

मानो रूह ने सांस भर ली हो।

आँखों में छुपे सारे सवाल मिटे,

तेरी हँसी में फिर वही नमी हो।


समझ आया— प्रेम तो रुकता नहीं,

वो सागर है, बहता ही रहता है।

कोई भी आंधी बुझा नहीं सकती,

अगर दिल अब भी जलता रहता है।


फिर से राहें गुलज़ार हुईं,

फिर से हसरतें जवान हुईं।

फिर से प्यार ने बाहें खोलीं,

फिर से अधूरी कहानी मुकम्मल हुई।


अंत नहीं, एक नई शुरुआत


अब हाथों में हाथ और सपनों में रोशनी है,

अब फासले नहीं, सिर्फ नज़दीकी है।

अब सफर फिर से शुरू हुआ है,

क्योंकि प्रेम की राह का कोई अंत नहीं होता...


यह बस बढ़ती रहती है,

हर जन्म, हर समय, हर क्षण...

कभी धूप में, कभी चाँदनी में,

कभी बिछड़कर, कभी मिलकर...


- प्रेम की राह, जो दिल से चली थी, और आत्मा तक पहुँची।


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