खामोश दरवाजा
खामोश दरवाजा
चाँद की रोशनी में एक खामोश दरवाजा,
धीरे-धीरे खुलता है, जैसे कोई राज़ छुपा हो।
सावधान रहो, क्योंकि वहां कुछ है,
जो तुम्हारी हर सांस पर नज़र रखता है।
सांप जैसी आवाज़ें, कानों में गूंजती हैं,
जैसे किसी की हलकी-सी सांस तुम्हारे पास आती है।
तुम देखो, पर कोई दिखाई नहीं देता,
बस सर्द हवाएं और एक घनी चुप्प रहती है।
कोने में खड़ी एक शख्सियत,
तुम्हारी नजरें छिपाने की कोशिश करती है।
लेकिन दिल में डर का एहसास बढ़ता है,
क्या वह साया सचमुच यहाँ है, या यह सिर्फ एक ख्याल है?
अंधेरे में कोई छुपा, तुम्हें घेरता है,
तुम भागते हो, पर रास्ते खत्म होते जाते हैं।
क्या यह एक सपना है या वास्तविकता,
जब डर तुम्हारे हर कदम का पीछा करता है?
रात की खामोशी में एक गहरी आवाज़,
"तुम बच नहीं पाओगे, अब तुम्हारी बारी है।"

