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Meena Mallavarapu

Horror Others

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Meena Mallavarapu

Horror Others

दहशत की वह रात

दहशत की वह रात

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खचाखच भरी हुई उस बड़ी सी बस में

हम सब, कोई डेढ़ सौ लोग, गिरते पड़ते

बिलकुल उसी तरह जैसे सौ सौ मुर्गियां,

या बकरियां ठूंस दी गई हों एक टेम्पो में!

चीखना चिल्लाना बेमतलब था लग रहा

आवाज़ के निकलने की राह न थी कोई

कोसों दूर तक कोई न था सुनने वाला

और सुन भी लेता तो क्या क्या कर लेता

सबकी आँखों में दहशत, आंसू थे सूख चुके

कुछ बंधे मुर्दों की तरह अपनी अपनी जगह खड़े

कुछ बैठे भी थे सबके बीच, पैर जो जवाब दे गए

कुछ पत्थर की बुत बन सूनी आँखों से घूर रहे

कोई किसी को क्या दे दिलासा, कैसे पोंछे आंसू

हाथ बंधे हुए, हर कोई बेबस, लाचार, उदास

पुरुष ,स्त्री, बच्चे ,बूढ़े, नौजवान- स्वस्थ, अस्वस्थ

ऐशो आराम का ही आदी या हो फक्कड़ ग़रीब

बस आज निकल पड़े थे हम सभी साथ साथ

मर्जी किस की, राज़ी कौन, इन्सान हो तो कोई पूछे

कहां कहां से गुज़री वह बस, क्या क्या गुज़रा सब पर

बताने के लिए चाहिए शेर का दिल, पत्थर का जिगर

हताश सभी, सुन्न हाथ और पैर, आँखों में डर का साया

रुकी अचानक एक गोलाकार बड़ी बिल्डिंग के आगे

वर्दी पहने, रिवौल्वर ताने, घूम रहे कितने सारे अफ़सर

और हम सब को खड़ा कर दिया गया तीन कतारों में

किस की हिम्मत जो चूं भी करे, कौन इधर उधर देखे

सब में जैसे उदासीनता का हो चुका था संचार, मगर

मेरा मन अभी भी हारा नहीं, ढूंढ रहा था रास्ता कोई

कौन जाने कहां से बढ़ेगा हाथ, ले जाएगा मुझे यहां से!

अब नम्बर लेकर बुलाया गया हर कतार से एक एक को

मैं हारूं कैसे ,नहीं तो भागूं कैसे, छोड़ दूं कैसे अपना परिवार !

घर परिवार कर रहे होंगे बेचैनी से सब मेरा इन्तज़ार!

सामने गैस चेम्बर और पीछे बिजली के तार -कैसे ,कैसे

निकलूंगी यहां से, भगवान! बस मेरे आगे दो ही औरतें ,

बाद में उनके ,मेरी बारी-अचानक मेरे हाथ जो बंधे थे पीछे

लगा खुल रहे हैं--तन मन में आशा का संचार होते

एक पल भी न लगा! एक पल के लिए जैसे अंधेरा हुआ !

उस घुप्प अंधेरे में भी पहचाना मैंने उस शख्स को

जो राह दिखा कर धीरे धीरे सुरक्षित स्थान की ओर

ले जा रहा था मुझे और मैं बेझिझक उसके पीछे!

थोड़ी दूर आगे--और एक खुला मैदान! हवा के झोंके

हल्के हल्के और दूर खड़ा परिवार - हम दोनों का भव्य

वह स्वागत भूले नहीं भूलता- गले मिलकर सबसे,

लगा नई ज़िंदगी मिल गई है-आंख से आंसू जो टपके

बच्चों ने पूछा--मम्मी, सपने में क्यों रो रहीं है आप?



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