उस एक रात
उस एक रात
उस एक रात के बारे में सोच कर आज भी डर लगता है,
जब मैं अकेले ही एक दोस्त की पार्टी से घर लौट रही थी,
तभी अचानक बीच रास्ते में मेरी कैब अचानक ही रुक गई,
पूछा ड्राइवर से क्या हुआ क्यों गाड़ी बीच रास्ते में रोक दी,
बोला ड्राइवर मैडम लगता है कुछ खराबी आ गई गाड़ी में,
आप रुको यहीं पर मैं किसी मैकेनिक को ढूंढ कर लाता हूँ,
पर सुनसान है सड़क इसलिए आप गाड़ी में ही बैठे रहना,
मैडम निकलना न गाड़ी से बाहर मैं फिर आप से कहता हूँ,
एक घंटा बीत चुका था पर ड्राइवर कुछ अता पता नहीं था,
तभी अचानक किसी की सिसकियों की एक आवाज़ आई,
कौन है तकलीफ़ में देखने को मैंने नज़र इधर-उधर दौड़ाई,
गाड़ी से उतरकर आवाज़ की तरफ मैं सहसा ही बढ़ती गई,
कुछ दूरी पर देखा तो एक साधारण सी कम उम्र की लड़की,
बड़ी ही दुखी, परेशान और जिंदगी से हारी हुई लग रही थी,
उसका रोना सुनकर मुझसे रहा ना गया पास गई मैं उसके,
लाख कोशिश की पूछने की पर वो बस रोती ही जा रही थी,
अंधेरा था इसलिए चेहरा नहीं उसका ठीक से दिख रहा था,
पर उसकी सिसकियों में कुछ तो गहरा दर्द छुपा हुआ था,
उसे तसल्ली देने के लिए जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रखा,
उसने शरीर को घुमाए बिना ही गर्दन को मेरी तरफ घुमाया,
यह दृश्य देखकर मेरे पैरों तले से मानों ज़मीन खिसक गई,
उसका चेहरा इतना भयानक था कि मेरी चीख निकल गई,
उसकी दहकती लाल आंखे एक उम्मीद से मुझे घूर रही थी,
मेरी मदद करो मुझे बचा लो बार-बार मुझसे कह रही थी,
डर से मेरे रोंगटे खड़े हो गए मैं अपनी गाड़ी की तरफ भागी,
तभी एक डरावनी आवाज़ कानों में आई "कहाँ भाग रही है"
मेरी मदद करके जा कहकर वो खौफनाक हंसी हंसने लगी,
मेरी मदद करना चाहती थी ना तू तो अब क्यों भाग रही है,
किसी तरह डरते लड़खड़ाते हुए मैं गाड़ी के पास पहुँच गई,
देखा ड्राइवर वहीं गाड़ी में बैठा मेरा ही इंतजार कर रहा था,
मैंने कहा भैया जल्दी चलाओ गाड़ी यह जगह ठीक नहीं है,
पर वह ड्राइवर था कि गाड़ी चलाने का नाम नहीं ले रहा था,
क्या हुआ गाड़ी क्यों नहीं चला रहे हो बार-बार में पूछ रही थी,
पर वो तो मेरी किसी भी बात का कोई उत्तर नहीं दे रहा था,
डर से मेरी हालत खराब थी मैंने गुस्से में जैसे ही उसे डांटा,
उसने गर्दन घुमाई वह ड्राइवर नहीं वही भयानक चेहरा था,
"कहाँ भाग रही थी" तू मेरी मदद किए बिना नहीं जा सकती,
उसकी वो भयानक आवाज़ सुनकर मैं वहीं बेहोश हो गई,
कुछ समय बाद जब होश आया तो देखा सुबह हो चुकी थी,
वो भयानक काली रात मन में डर की एक कहानी छोड़ गई,
कुछ देर बाद देखा वो ड्राइवर दूसरी कैब लेकर आ रहा था,
इतनी देर से आने के लिए बार-बार मुझसे माफी मांग रहा था,
ड्राइवर गाड़ी चलाते-चलाते भी बार-बार यही दोहरा रहा था
पर मेरा दिमाग तो उस डरावनी रात में ही अब तक फंसा था,
आज उस बात को बीते हुए करीब दस साल गुज़र चुका है,
पर उस लड़की की वो आवाज़ आज तक कानों में गूंजती है,
उस दिन के बाद कहीं भी अकेले निकलने से डर लगता है,
कोई साया मेरा पीछा कर रहा है यह एहसास होता रहता है।