कितना प्यार है वो में नहीं जानती ...
कितना प्यार है वो में नहीं जानती ...
कोई तो है जो हर दिन मेरा चैन चुराता है ,पर सामने आने से डरता है ..
कोई तो बेसब्रिया है जो हर दिन प्यारे से विचार मुझ तक पोहचाता है जिससे में खुश रह सकूं ..
वैसे तो बहोत ही फिक्र है उन्है मेरी , लेकिन पता नहीं क्यों वो जताते नहीं है , क्यों मेरे सामने वो आते नहीं है
हर वक्त में उनके ख्यालों में डूबी रहती हूं , मेरी जुबान पर हर वक्त उनका जिक्र होता है ..
उनके बारे में जब भी सोचती हूं , तब ऐसा लगता है की उन्है पाकर सारी दुनिया की खुशियां मुझे मिल गई है ..
आज तक में उनसे मिली नहीं , लेकिन फिर भी लगता है की हम एक दूजे के लिऐ ही बने हैं ,
हमारे विचार एक जेसे हैं , हमारे सपने एक जेसे है ओर खुशियां भी
सब कुछ एक ख्वाब की तरह लग रहा है ओर वो मुझे मेरे ईश्वर से भी ज्यादा प्यारे लग रहे हैं ,
जब से वो मेरी जिंदगी में आए हैं , मैं खुश रहने लगी हूं ,
सारी मुसीबतों से लड़ने लगी हूं , मंज़िल के ओर गरीब आने लगी हूं ...
में नहीं जानती हम केसे मिले है , लेकिन जबसे मिले है तब से जिंदगी बेमिसाल लगने लगी है ,
कितना प्यार है वो मैं नहीं जानती पर इतना जानती हूं कि वो सिर्फ़ मेरे लिऐ बने हैं , और हम एक दिन जरूर मिलेगे है वादा है मेरा .....
कितना प्यार है वो मैं नहीं जानती , पर इतना जानती हूं कि
जब तक हम मिलेंगे नहीं तब तक है कविता अधूरी है ,
इस जिंदगी में आपके बिना मैं अधूरी हूं ..