STORYMIRROR

Madhavi Solanki

Romance Others

4.0  

Madhavi Solanki

Romance Others

कभी शाम ढले ...

कभी शाम ढले ...

1 min
212


कभी शाम ढले तो,

एक बार आ जाना।

वो पुराने किस्सों को दोहराना,

उसमें तुम मुझे तलाश लेना।

तुम्हारी हर एक बात याद हे मुझे,

तुम कहते थे मुझसे शायद कभी होना पड़ा दूर तुमसे।

तो फिर एक बार कोशिश करना तुम,

मुझे याद करना मुझे तुम्हारे पास पाओगे तुम।

यहीं बात मैंने भी कही थीं तुमसे,

याद आ जाएं ये बात तो ,

फिर शाम ढले आ जाना,

मेरी जिंदगी में लोट कर।

मुझे फिर तुम पहले जैसा ही पाओगे , 

बस शाम ढले आ जाना।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance