" में खुशियां हूं ...."
" में खुशियां हूं ...."
इतना भी मत ख़ोज मुझे नहीं मिलूंगी में , बस यूंही कही किसी मोड़ पर अंजान बन कर तुमसे टकरा ही जाऊंगी ,शायद तुम मुझे पहचान ना पाओ ...
मेरी तलाश में यू वक़्त जाया ना कर , मैं तुम्हारी परछाई बनी तुम्हारे साथ चलती हूं ,तुम रहते हो अक्सर छाव में ,कभी धूप में निकल कर आव तो मेरा दिलदार हो जाए ..
अक्सर लोग मेरी ख्वाहिश में भीड़ में मुझे खोज़ा करते है ,पर शायद उन्हें मालूम नहीं अक्सर में तन्हाई में मिला करती हूं ...
मैं खुशियां हूं अक्सर तेरे दरवाज़ों पर दस्तक दे जाती हूं ,थाम लेना मुझे तुम्हारी बाहों में तन्हा रहना हम दोनों के लिए गवारा नहीं में पिले फूलों की तरह तुम्हारी दोस्त बनने का पैग़ाम देती हूं ,में खुशियां तुम्हारे जिंदगी में आना चाहती हूं ...
में मिलती हूं कभी हज़ारों पीले फूलों में ,तुम्हारी ख़ुशी की वज़ह बनने के लिए ...
मिलती हूं कभी में हज़ारो किताबों में कविताओं के रूप में , गानों के मधुर संगीत में या फिर इस प्रकृति के नज़ारो में ,शायद तुम मुझे महसूस कर सको ...
लोग अक्सर खरीदा करते है मुझे पैसो के ज़रिए ,पर ये लोग नही जानते पैसो से चीज़े खरीदी जाती है ,खुशियां या नि में बाज़ारों में नही बिका करती ,में तो आज़ाद हूं ,वहीं जाती हूं जहाँ सब बेसब्री से मेरा इंतज़ार करते है , जिन्हें मेरी क़द्र है ....
मिलती हूं कभी में उन अनगिनत प्रसंगो में जहां कभी दिल मिलते है , नई जिंदगी मिलती है ,नए रिश्ते बनते है , हा ; कहा तो सही में खुशियां हूं प्यार बाटना मेरा काम है ...
में खुशियां हूं ,प्यार का पैग़ाम हूं ,जिंदगी जीने की वज़ह हूं ,दुःख को दूर करने का ज़रिया हूं , मुझसे मिलना हो तो इन पिले फूलों में मुझे ढूढना ,इन तितलियों में मुझे निहारना , इन छोटे से मासूम बच्चों में मुझे महसूस करना , कभी इन कविताओं में मुझे पढ़ना ,कभी मेरी आवाज़ में मुझे सुनना , हां मैं खुशियां हूं ...
