बेइमानी
बेइमानी
पैसों का अधिक लालच क्या-क्या करवाता है?
अपने ही हाथों से अपने ज़मीर को मरवाता है,
लूट-खसोट मचती है फिर घर और दफ्तर में,
चोरी की कमाई से ही महल बनवाया जाता है।
यूं तो इस देश में गुरु का सम्मानित स्थान है,
पर सरकारी शिक्षक भी चोरी से
प्राइवेट कोचिंग पढ़ाता है,
अपने स्कूल के बच्चों से उसे कोई मतलब नहीं,
अपना सारा ज़ोर वो धन कमाने में लगाता है।
बड़े-बड़े व्यापारियों से अपने देश का किसान भला,
मेहनत करके जो बंजर-जमीन पर फसल उगाता है,
चोर और साहूकार मुफ़्त की बोटियां नोचते जहां,
गरीब किसान पसीने से खुद को रोज़ नहलाता है।
आलसपन और मक्कारी ने सबको बिगाड़ रखा है,
इस बुरे दौर ने सबको बेहाल कर रखा है,
हमें भी आते हैं रोज़ कोई न कोई ऑफर,
हमारी खुद्दारी ने चलो हमको संभाल रखा है।
