मेरा ग़म
मेरा ग़म
क्या लिखूँ क्या कहूँ जिंदगी ने बड़ा रुलाया है,
दर्द ए दिल का साथ देने न कोई अपना आया है..
मर्जियां ही खुदगर्जियां कहलाती हैं,
और अक्सर ज़िन्दगीयाँ बर्बाद हो जाती है..
जिंदगी की राह में उसे मेरी याद आती नहीं है,
और उसकी याद मेरे दिल से जाती नहीं है...
बेवफ़ा जिंदगी में कोई गुमान नहीं है,
ग़म ए दिल की कोई पहचान नहीं है..
