STORYMIRROR

Dobhal Girish

Tragedy

4.0  

Dobhal Girish

Tragedy

बदनाम हुस्न - ओ - इश्क़

बदनाम हुस्न - ओ - इश्क़

1 min
245


कहीं हुस्न तो कहीं इश्क़ बदनाम होता है,

खेल जिस्मों का अब सरे-आम होता है।

मुहब्बतों के बाजार में नाम मुहब्बत का,

शहर, गांव, जंगलों तक में नीलाम होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy