छोड़ गया वो महात्मा
छोड़ गया वो महात्मा
आज भी याद आता है वो गुजरा हुआ जमाना,
आज़ादी की खातिर तेरा यूं अंग्रेजों से भीड़ जाना।
कैसी वो मां रही होगी जिसने तुझे जन्म दिया,
चला सत्य और अहिंसा के बल पर झूठ को न टिकने दिया।
एक मां का पूत वो भारत का सच्चा सपूत था,
जो बन कर आया इस भूमि पर वो एक देवदूत था।
तू भारत का गौरव तू ही भारत का सम्मान है,
ए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तुझको मेरा सलाम है।
आया ऐसा भी एक काला दिन। हां था वो 30 जनवरी का दिन,
बुझा चिराग इस भारत का अंधेरा सा छाया था।
क्या सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले ने ये तोहफा पाया था,
रोक नहीं पाया कोई जब मौत के साये ने घेरा था।
कैसी मनहूस घड़ी छाई थी हर तरह रूसवाई थी,
एक भाई ने दूसरे भाई को मौत की चादर उढाई थी।
जा चुका था वो महात्मा एक ऐसे लोक में,
देकर अनगिनत अनमोल यादें वो इस लोक में।
आज का आलम ऐसा है। याद कहा किसी को रहता है,
सत्य और अहिंसा का पालन करना बस नाम का नारा है।
सत्य और अहिंसा की आड़ में काले कारोबार चलाते हैं,
ढूंढ कर लाओ उन शहजादों को जो महात्मा गांधी कहलाते हैं।
याद बहुत आती है बापू कहा तूं चला गया,
दे नए सपनों की उड़ान भारत की बागडोर हमें थमा चला।
बापू तू वो पुन्य आत्मा है जो विरले ही जन्म लेते हैं,
जिनके जाने के बाद उनके सपने नित नए रंग-रूप लेते हैं।
नमन है बापू बारम्बार अर्पित है चरणों में फूल
आंखों में अश्रु आ जाते हैं।जब याद आते हो ए शान्ति के दूत।
नमन है तुम्हें बारम्बार ए सत्य मार्ग पर चलने वाले,
हो सके तो एक बार फिर लौट आओ आज ये धरती मां तुम्हें पुकारें।
