ए दिल ए बेकरार,,
ए दिल ए बेकरार,,
अपना ये दिल सनम तुम पर हम तो गए हार,
तुम बिन मेरे इस दिल को आता नहीं करार,,
न दिन को सुकून न रातों को चैन, दिल है बेकरार,
तुम बिन तड़प रहा है ये दिल करने को दीदार ,,
ए मेरे चांद तू ही बता क्या मैं ही हूं खतावार,
या कर के कुछ गुनाह बन बैठी हूं गुनाहगार,,
अक्सर ये रातों की तनहाई मुझे कचोटती है मिलता नहीं करार ,
कुछ तो बता ए मेरे हमदम कब आएगा मेरे भी आंगन मौसमे बहार ,,
सावन के झूले भी अब मुझे करते हैं बेजार,
रहता है बहारों के आने पर भी हर वक्त तेरा इंतज़ार,,
हां आज मैं भी तड़प रही हूं और कर रही हूं तेरा ही इंतजार,
लौट आओ ए मेरे मुहब्बत के बादशाह तुझ बिन जीना है अब बेकार ,,
मेरी पायल की आवाज कसम से नाम लेती है तेरा हर बार,
आ जाओ ना ए मेरी जिंदगी के हमराज़ सुनो तो मेरे घुंघरूओं की पुकार ,,
कैसी ये मुहब्बत है तू ही बता दिलदार,
एक है आंसुओं से सराबोर और दूजा है मरने की करार,,
तेरी मुहब्बत का असर कुछ मुझ पर यूं हुआं है ऐ मेरे सरताज,
लगानी है अब मेहंदी तेरे ही नाम की इन हथेलियों पर देखो ना मेरी सखियां भी है तैयार,,
ये शाम का आलम और तेरे लिखे हुए अल्फाज़ अब सच में कर रहे हैं मुझे बेकरार,
हां लो आज मैं करती हूं तेरी मुहब्बत में कि हां मुझे भी है तुमसे बेपनाह प्यार,,
ए मेरे दिल बता न क्यों है तू यूं बेकरार।