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Minal Aggarwal

Tragedy

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Minal Aggarwal

Tragedy

मां के बिना

मां के बिना

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मां 

मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है 

यूं तो तेरा साया 

मेरे सिर पर हर समय मंडराता है लेकिन 

तू जो दिखती नहीं तो 

तेरा अपने पास न होना 

मुझे बहुत सताता है 


एक ही मां की कोख से जन्मे 

सारे बच्चे उसके 

एक से नहीं होते 

कुछ तो यह भी नहीं जानते कि 

मां होती क्या है 

उसका अस्तित्व क्या है 

उसका स्थान क्या है 


ऐसे लोग मानव का चोला पहने 

अमानवीय व्यवहार करते हैं और 

एक हिंसक पशु समान या 

दानव की श्रेणी में आते हैं 

मां की मुझे तो थी 

बहुत जरूरत 

मेरी मां को तो मुझसे 

छीन लिया गया 

जिन्होंने यह किया 

उन्हें मेरी मां के न होने का 

कोई फर्क ही नहीं पड़ता 


उन्हें जब उनके जीवित होने पर 

उनकी चिन्ता नहीं थी तो 

अब क्या होगी लेकिन 

मैं उनके बिना जो पल पल 

तड़पती हूं तो 

यह तड़प क्या होती है 


यह तो बस वही जानता है 

जिस पर इस तरह का अप्रिय कुछ 

घटित होता है 

हमारा समाज किस दिशा में जा 

रहा है 

संवेदनाशून्य 

अमानवीय आचरण 

भेदभावपूर्ण रवैया 

विषमताओं से भरा 

दुर्भावनाओं से परिपूर्ण 

तनावग्रस्त 

ऐसा ही बहुत कुछ 


कूड़े कचरे का ढेर 

बदबूदार 

इसके सिवाय कुछ और नहीं 

ऐसे लोगों के बीच रहकर 

यह मेरा दुर्भाग्य कि 

मैंने तो अपनी हीरे जैसी मां को 

समय से पहले खो दिया 

यह एक कड़वा सत्य है 

जो आजकल लगभग 


हर परिवार पर लागू होता है 

अपने तक लोग इस कदर सीमित 

होते जा रहे हैं कि 

औरों की तो छोड़ो अपने मां बाप 

तक की घोर अवहेलना करते हैं 

उनके अपने बच्चे 

नतीजा समय से पहले 


उनकी मौत 

उनकी दुर्दशा के कारण 

मेरी मां ऐसे एक झटके में 

चली जायेंगी 

यह तो मैंने कभी कल्पना में भी 

नहीं सोचा था 

मैं तो अपनी मां के बिना अधूरी हूं 

न जाने कौन सी मिट्टी के बने होते होंगे वह 

बच्चे जो अपनी मां के बिना 

पूर्ण महसूस करते होंगे।


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