शादी की अंगूठी प्रेम विश्वास
शादी की अंगूठी प्रेम विश्वास
कहते हो शादी की अंगूठी होती है बहुत खास
पति पत्नी के बीच में वह प्यार और विश्वास की डोर होती है बहुत खास
मगर यह तो दिल से दिल के रिश्ते हैं मानो तो है बहुत खास ना मानो तो कुछ भी नहीं है इसमें खास।
अगर इतना ही खास होता तो शादी लोगों की ताउम्र साथ बीतती।
नहीं वह अंगूठी की मोहताज होती।
अगर आजकल तो ऐसा कुछ नहीं है।
ना शादी ना अंगूठी का मोल है ना मंगलसूत्र का। तलाक के केस इतने बढ़ रहे हैं ।
शादी के महीने के अंदर ही तलाक हो रहे हैं।
जिनको दिल के रिश्ते निभाने होते होंगे तो बिना अंगूठी के भी ताउम्र साथ रहते हैं।
उनके रिश्ते किसी अंगूठी के मोहताज नहीं है हमको तो शादी और सगाई में कोई अंगूठी पहनाई नहीं गई।
मगर दिल के रिश्ते इतने मजबूत थे कि हम तो आप मेरे साथ चल रहे हैं ।
यह तो एक रस्म है जो हर किसी में नहीं होती है। आजकल इस ने दिखावे का रूप ले लिया है इंसान के पास पैसा ना होते हुए भी हीरे की अंगूठी की और दौड़ता है, और कर्ज लेने करके अंगूठियां बनवाता है।
कर्ज चुकाते आधी जिंदगी निकल जाती है और रिश्ता तो आधे कुछ समय में ही उसका खत्म हो जाता है ऐसे किस्से हमने जिंदगी में बहुत देखे हैं इसीलिए दिल का दिल से दिल का रिश्ता ही पक्का है जो किसी अंगूठी का मोहताज ना हो
ऐसा हमारा मानना है आपसी प्रेम विश्वास ही एक दूसरे के रिश्ते के लिए एक पक्के रिश्ते के लिए है जो जिंदगी भर साथ चलते है थोड़े से भूचाल से जो ना बिगड़ते है।
वही रिश्ता खास है।
ना की अंगूठी पहना कर दिखावा करने का रिश्ता खास है।
है विमला की यह सोच दिखावट पर ना जाए बंदे।
अपनी जेब को देखकर हीरा नहीं चांदी की अंगूठी से भी चला काम तु।
अगर रिश्ते में है विश्वास तो रिश्ता इस अंगूठी से भी चल जाएगा ।
नहीं तो हीरे की अंगूठी भी कुछ काम ना आएगा।