अब करनी होगी भरपाई
अब करनी होगी भरपाई
आज ज़ब मैंने आईना देखा तो ,
आईने वाली लड़की थोड़ा मुस्कुराई !
अरसे से अंतर्मन में चल रहे अंतर्द्वंद्व के ,
तह में जाकर मैंने खुद से ही की थी लड़ाई !
मन में उठते अनगिनत सवालों को लेकर ,
खुद को ही आज मैं एक कटघरे में ले आई !
उस शख्स की बेवफाई के ज़ख़्म के दर्द से ,
खुद को बारहा , जो दर्द मे तड़पता हुआ पाई !
एक उसके ज़िक्र से दिल बेतहाशा रोता था ,
ज़ब कभी अकेले बैठती और होती थी तन्हाई !
सच कहूँ तो मुश्किल बहुत हुई उसे भुलाने में ,
पर किसी तरह खुद को उससे जुदा क़र पाई !
एक बेलौस इंसान से दिल लगाने की ये सज़ा ,
और ना जाने कितने साल करनी होगी भरपाई !
जानती हूँ , अंदर है पसरा हुआ नीम अंधेरा ,
फिर भी दिल के मुहाने पर एक दीप बाल आई!
