STORYMIRROR

Radha Goel

Tragedy Inspirational

4  

Radha Goel

Tragedy Inspirational

अतिक्रमण

अतिक्रमण

1 min
10


तिनका-तिनका जोड़- जोड़ कर, इक आशियां बनाया।

नहीं किया था अतिक्रमण, पेड़ों पे घरौंदा बनाया।

मानव को मेरा दुस्साहस बिल्कुल रास न आया।

जंगल काट दिये, कंक्रीटों का नगर बसाया।


हम जैसों को जीने का, क्या कुछ अधिकार नहीं है? 

छोटा सा घौंसला हमारा, क्यों स्वीकार नहीं है?

जंगल सभी काट डाले,तालाब पाट डाले हैं।

पशु- पक्षियों के जीवन में, आज पड़े लाले हैं।

 

हमने तो मानव के शहर पर, कभी अतिक्रमण नहीं किया।

फिर क्यों उसने हम निरीह जीवों का, जीना कठिन किया?

इसी तरह सारे जंगल को, अगर काटते जाओगे,

पशु- पक्षी कैसे होते, बच्चों को क्या बतलाओगे?


वास्तुकला के ये नायाब नमूने, कहाँ से पाओगे?

बुलबुल तोता मैना का, संगीत नहीं सुन पाओगे।

हे मानव तुमसे विनती, पेड़ों को काटना बंद करो।

सब प्राणी सुख से जी पाएँ, मानवीय सा कर्म करो।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy