प्रेम का दर्द
प्रेम का दर्द
जीवन की मिठास और कष्ट,
प्यार के संग जुड़ता हैं।
इश्क का दर्द सुनाती है ये कविता,
जब रूह उलझी हो जैसे जीवन की रेखा।
प्यार की लहरों में खोए रहते हैं हम,
अपने दिल की आवाज़ को जो नहीं कह पाते हम।
ये इश्क का दर्द, कैसे समझाऊँ मैं,
दिल की हर धड़कन, उस आसमान को छूने जैसा।
जब वो मुस्कान देती है ,
तब दिल के सारे गम भूल जाते हैं हम।
प्यार का रंग, कभी हरा तो कभी लाल,
अपने अंदर के तूफ़ान को रोक नहीं पाते हैं हम।
प्यार की ये भूख, जब दिल में जगाती है,
वो तारे तोड़ कर हमें साथ लेकर चली जाती है।
इश्क की कश्ती, जब लहरों में डूबती है,
दिल का धड़कन थामती है, कुछ और न समझ पाती है।
प्यार का दर्द रहे या खुशियों की बारिश,
हर एहसास को वो अपने आप में समेट लेती है।
जब इश्क की मोहब्बत अपने पर मचल जाती है,
तब वो आँधी उठती है, सब कुछ उजड़ जाती है।
प्यार की ये कविता, दर्द की जुबान,
इश्क के सभी रंगों को जो समझ पाती है।
इश्क का दर्द है ये कविता की साथी,
जब रूह उलझी हो जैसे जीवन की रेखा।
प्यार का दर्द हमेशा संग रहता है,
बिना बताए हमें सताता रहता है।
पर इस दर्द के साथ जीना सीखा हमने,
क्योंकि प्यार के बिना ज़िंदगी वीरान हो जाती है।
तारों की बारात थी जब ,
अकेले बैठे थे हम दोनों।
मोहब्बत की ये प्यास हमेशा रही,
प्यार के इन ज़हरीले प्यालों में डूबे हम दोनों।
प्यार का दर्द, जो संग लिया हमने,
बदल गया था हमारा जीवन का मेला।
प्यार की बहार थी जब हमारी,
पर वो फूल टूट गए बन गया कब्रिस्तान।।
