आना वसंत का
आना वसंत का
जो बीज बोया है
वही तो फलेगा !
जब वसंत आएगा !
फसल तब लहलहायेगी
जब मेहनत रंग लाएगी।
वसंत की छटा
कोयल की
कूक में सुनाई देगी।
नई कोपलों
और खिलते फूलों में
दिखाई देगी।
धूप की ऊष्मा
मौसम की बदलती लय में
महसूस होगी।
चहचहाते पंछियों के
मीठे सुर,
जल की तरंगों से
ताल मिलाते हंसों
और नाचते मोरों के
पंखों में झिलमिलायेंगे।
ये सब होगा
जब आएगा वसंत।
पर कैसे आएगा ?
यदि मन की भूमि
ना होगी उर्वर ?
खेत जोतना
बीज बोना, सींचना
और रखवाली करना।
तैयारी है स्वागत की,
वसंत के आगमन की।
फूल यूं ही नहीं खिलते।
वसंत यूं ही नहीं आता।
फूल खिलाये जाते हैं।
और जैसा कहा था
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी जी ने
"वसंत आता नहीं,
ले आया जाता है।"
वसंत आता नहीं,
बुलाया जाता है।
वसंत आता नहीं,
खिलाया जाता है।