मिठास
मिठास


और इस तरह
आकाश के भाल पर
झूमर-सा जा टंका,
शहद में घुला चंद्रमा ।
बहुत देर तक
छत पर टहलता रहा
बिल्कुल अकेला,
आखिर थक-हार कर
बैठ गया वहीं पर
सड़क से आती
रोशनी को देखता।
फिर जाने क्या सूझा ..
लैंप पोस्ट को सीढ़ी बना
जा पहुंचा आसमान पर
मुँह चिढ़ाता शक्लें बनाता
पहाड़ी के पीछे जा छिपा।
फिर निकला झांकता हुआ
नज़रें चुराता झेंपता हुआ।
दूधिया बताशे सरीखा।
जी भर कर जो निहारा
मन में झट घुल गया।