बेशुमार रंग
बेशुमार रंग


जितने रंग हैं इस दुनिया में
मुझे वो सारे रंग ला दीजिए !
दुलारी बिटिया की ये मांगें
अब किस विध पूरी कीजिए !
रंगों की क्या कमी है जग में,
हर सू बिखरे हैं कण-कण में ।
हर रंग को तू जान ले पहले
फिर घोल ले अपने हदय में ।
देखो रंग होते हैं सात धनक में
वही रंग जब इंद्रधनुष से छलके,
नील नभ जल धानी धरा बन के
पीले गुलाबी श्वेत फूल बन महके ।
कल्पना की तूलिका हाथों में ले
रंग में रंग घोल अपने मनभाए ।
चंदन रोली गेरू हल्दी मेंहदी के
बेशुमार रंग भर लेना जीवन में ।