रंग देना हर कोना
रंग देना हर कोना


हमने अपने बच्चों से सीखा,
खाली खानों में रंग भरना।
कोई भी कोना क्यों रहे सूना ?
मन हो या घर का कोई कोना।
बच्चों को मिला था अनोखा,
रंगों और किताबों का तोहफ़ा।
किताबों में लिखी थी चित्रकथा,
रेखाओं के बीच रंग था भरना।
हमने प्रसन्न बच्चों से जब पूछा,
बेरंग चित्रों में भला ऐसा क्या?
नन्हे मुन्नों ने धैर्य से समझाया,
रंग भरने का गुर भी सिखलाया।
चित्रकार ने सुंदर चित्र बनाया।
रंग भरने का काम हमें थमाया।
रंगों का उपहार रुपहला दिया।
हमसे रंग मनचाहे भरने को कहा।
रंग भरने में आता है बहुत मज़ा !
रंग में रंग घोल बना लो रंग नया !
रंग भरते-भरते चित्र बदल जाता !
सब रंग मिलजुल रचते रूप कथा !
एक बात का ध्यान बस रखना होगा।
याद रहे इतना कोई भी कोना छूटे ना।
अपने मनभाते रंग बस भरते ही जाना।
चाहे रंगो आकाश हरा और पीत धरा।
अपने छोटों से सीखा यह पाठ बङा।
सरल मन सहज रंग में ढल जाता।
आता हो यदि रंगों में रंग घोलना,
सरस रंगों की कमी कभी भी हो ना।
देने वाले ने दुर्लभ जीवन हमें दिया,
और उकेर दीं हथेलियों में भाग्य रेखा।
रेखाओं पर भले चले ना बस हमारा,
इन रेखाओं के बीच रंग मनचाहे भरना।