भरने पड़ते हैं रंग
भरने पड़ते हैं रंग


इन्द्रधनुष आप ही नहीं
बन जाते इतने रुपहले,
नयनों के तीर कमान,
खिंची प्रत्यंचा समान !
सजल नदी से उठती वाष्प
सह-सह कर सूर्य का ताप
तरल बादल भर आया मन
बूंदों का सघन स्नेह मिलन !
इधर धरती पर लगाए आस
अथक परिश्रम करते जन जन
ऐसे ही नहीं बन जाते इंद्रधनुष
धनक में भरने पड़ते हैं सारे रंग!